“सर्वेभ्यः संस्कृत-दिवसस्य हार्दिकाः शुभाशयाः! संस्कृत-भाषा अस्माकं प्राचीन-धरोहरः अस्ति, या अस्मान् ज्ञानं, संस्कृतिं च संस्कारैः संयुङ्क्ति। एतस्मिन् अवसर उपलक्ष्ये संस्कृतस्य अध्ययनं संरक्षणं च संकल्पं कुर्मः।”
संस्कृत भाषा को विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक माना जाता है। इस भाषा में लिखा गया साहित्य न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न अंग है, बल्कि विश्व साहित्य की धरोहर भी है। संस्कृत के साहित्यिक ग्रंथों ने विभिन्न विधाओं में अमूल्य योगदान दिया है। आइए, कुछ प्रमुख संस्कृत साहित्यिक ग्रंथों और उनके लेखकों पर एक नज़र डालते हैं।
1. रामायण – महर्षि वाल्मीकि
रामायण संस्कृत भाषा का एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने रचा था। यह ग्रंथ भगवान राम के जीवन, उनके आदर्शों, संघर्षों और विजय की कथा को विस्तार से प्रस्तुत करता है। इसमें सात कांड (बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, युद्धकांड, और उत्तरकांड) हैं, जो भगवान राम के जीवन के विभिन्न चरणों का वर्णन करते हैं।
2. महाभारत – महर्षि वेदव्यास
महाभारत संस्कृत का एक अन्य महान महाकाव्य है, जिसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। यह ग्रंथ कौरवों और पांडवों के बीच हुए कुरुक्षेत्र के महायुद्ध का वर्णन करता है। इसके 18 पर्वों में लगभग 100,000 श्लोक हैं, जो इसे विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य बनाते हैं। महाभारत में भगवद्गीता भी सम्मिलित है, जो भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है।
3. भगवद्गीता – श्रीकृष्ण (कथानक में)
भगवद्गीता महाभारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे स्वतंत्र रूप में भी पढ़ा जाता है। यह ग्रंथ धर्म, कर्म, योग और भक्ति के सिद्धांतों का प्रतिपादन करता है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान दिया और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
4. काव्य प्रकाश – आचार्य मम्मट
काव्य प्रकाश संस्कृत काव्यशास्त्र का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है, जिसे आचार्य मम्मट ने लिखा था। यह ग्रंथ संस्कृत काव्य की विभिन्न विधाओं, अलंकारों और रसों का वर्णन करता है। काव्य प्रकाश संस्कृत साहित्य के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ्यपुस्तक है।
5. अभिज्ञान शाकुंतलम – महाकवि कालिदास
महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के सबसे प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनका नाटक “अभिज्ञान शाकुंतलम” विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी को प्रस्तुत किया गया है। कालिदास की अन्य महत्वपूर्ण कृतियों में “मेघदूत”, “रघुवंशम”, और “कुमारसंभवम” शामिल हैं।
6. अष्टाध्यायी – महर्षि पाणिनि
महर्षि पाणिनि का “अष्टाध्यायी” संस्कृत व्याकरण का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें संस्कृत भाषा के व्याकरणिक नियमों का व्यापक और संगठित विवरण मिलता है। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा के अध्ययन और शिक्षण के लिए मूलभूत स्रोत है।
7. योगसूत्र – महर्षि पतंजलि
महर्षि पतंजलि का “योगसूत्र” योग के सिद्धांतों का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें महर्षि पतंजलि ने योग के आठ अंगों (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि) का विस्तार से वर्णन किया है। योगसूत्र योग दर्शन का आधारभूत ग्रंथ माना जाता है।
8. स्मृतियां – मनु, याज्ञवल्क्य, पराशर
स्मृतियां धर्म, समाज, और नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने वाले ग्रंथ हैं। इनमें “मनुस्मृति”, “याज्ञवल्क्य स्मृति”, और “पराशर स्मृति” प्रमुख हैं। ये ग्रंथ भारतीय समाज और धर्म के लिए नैतिक और विधिक मानदंड स्थापित करते हैं।
नीचे कुछ श्लोक और उनके अर्थ रख रहा हूँ, जो मनुष्य जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं और जीवन को सही दिशा में चलाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं:
श्लोक:
सत्यम् ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात्, न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम्।
प्रियं च नानृतम् ब्रूयात्, एष धर्मः सनातनः॥
अर्थ: मनुष्य को हमेशा सत्य बोलना चाहिए, लेकिन वह सत्य बोलना चाहिए जो प्रिय हो, अर्थात् जिससे दूसरों को दुख न पहुंचे। यदि सत्य अप्रिय हो, तो उसे बोलने से बचना चाहिए। इसके विपरीत, प्रिय बोलने के चक्कर में कभी असत्य नहीं बोलना चाहिए। यह सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण नियम है।
श्लोक:
आहार निद्रा भय मैथुनं च, समान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्।
धर्मो हि तेषामधिको विशेषो, धर्मेण हीना: पशुभिः समाना:॥
अर्थ: भोजन, नींद, भय और संतानोत्पत्ति यह सभी गुण मनुष्य और पशु में समान होते हैं। मनुष्य और पशु के बीच का अंतर केवल धर्म का होता है। यदि मनुष्य धर्म का पालन नहीं करता, तो वह भी पशुओं के समान ही हो जाता है।
श्लोक:
शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्।
अर्थ: शरीर ही धर्म का साधन है। अर्थात् जीवन में धर्म पालन करने के लिए सबसे पहले स्वस्थ शरीर का होना आवश्यक है। यदि शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो मनुष्य अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं कर सकेगा।
निष्कर्ष
संस्कृत साहित्य अपने विविध और गहन ग्रंथों के माध्यम से न केवल भारतीय संस्कृति को समृद्ध बनाता है, बल्कि संपूर्ण मानवता को भी मूल्यवान ज्ञान और दिशा प्रदान करता है। इन ग्रंथों का अध्ययन और अनुसंधान आज भी प्रासंगिक है और यह हमें हमारी प्राचीन धरोहर से जोड़ने का काम करता है।
©️✍️ शशि धर कुमार
शिक्षा: बी.ए. (अंग्रेजी), सूचना प्रौद्योगिकी स्नातक, कंप्यूटर एप्लीकेशन में उन्नत स्नातकोत्तर डिप्लोमा, डिजिटल मार्केटिंग में मास्टर, डिजिटल मार्केटिंग में सर्टिफिकेट, कैथी, प्राकृत, ब्राह्मी और संस्कृत में सर्टिफिकेट
लेखन विधा: हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और कैथी में कविता, लेख, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा आदि प्रकाशित
प्रकाशित कृतियां: व्यक्तिगत कविता संग्रह “रजनीगंधा” के साथ-साथ कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में 200 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
सम्मान और पुरस्कार: राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान, श्री मंगरेश डबराल सम्मान, श्री उदय प्रकाश सम्मान, मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान, एसएसआईएफ ग्लोबल पीस अवार्ड 2023, मानवाधिकार पुरस्कार 2023, राष्ट्र सेवा पुरस्कार 2024, सामाजिक प्रभाव पुरस्कार 2024 और विभिन्न संगठनों द्वारा 20 से अधिक पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित।