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आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के पहले मैच में भारत का पाकिस्तान से हारना किसी भी भारतीय को पसंद नहीं आया चाहे वे इसको स्वीकारे या इंकार करे या वे खेल भावना की दुहाई देकर इसको भूल जाने की बात कहते हो लेकिन ये उनका दिल ही जानता है वे इस मामले में कितने कमजोर है। मैं यहाँ हार जीत के विश्लेषण पर बात नहीं करना चाहता हूँ मैं बात करना चाहता हूँ जो उसके बाद की कहानी जो हुई वो यह थी की मोहम्मद शमी को उसके प्रदर्शन के लिए ऑनलाइन ट्रोल जिस तरीके किया गया उसपर बात करना चाहता हूँ। हो सकता है कइयों को यह बात सही ना लगे लेकिन जरुरी नहीं की आपको जो सही लगे उसी पर मैं बात करूँगा या करता हूँ।

एक टीम जिसके कप्तान रानी रामपाल है और वे ओलिंपिक जैसे खेल में प्रतिनिधित्व कर रही थी और दूसरी टीम जिसके कप्तान विराट कोहली है अभी आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में अपना अभियान जारी रखे हुए है हारी दोनों की टीम थी लेकिन दोनों खेल में एक बात सामान थी वह थी पुरे खेल में एक व्यक्ति को उस हार के लिए जिम्मेदार ठहराना। पहले खेल में एक मैच में वंदना कटारिया ने हैट्रिक गोल किया फिर भी भारीतय टीम हार गयी उसके वावजूद भी उसके घर के बाहर जातिसूचक शब्दों के साथ हो हल्ला किया गया। आप इस खबर को यहाँ पढ़ सकते है http://toi.in/EChFza/a31gj दूसरे खेल में एक खिलाडी को छोड़कर बांकी सभी को फेल कहा जाएगा उसके बाद भी एक खिलाडी को ही सबसे ज्यादा ऑनलाइन ट्रोल किया गया। मेरे यह लिखने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन यहाँ जो एक बात सबसे बड़ी है जो हम सभी भूल रहे है वह है विराट कोहली का शमी के साथ खड़े नहीं होने का सन्देश देना जैसे रानी रामपाल ने किया था। 

रानी रामपाल द्वारा दिए गए वीडियो स्टेटमेंट को आप यहाँ सुन सकते है। https://twitter.com/TheQuint/status/1423921000631078917 यही दोनों कप्तान के कर्तव्यों में अंतर नजर आता है आप कप्तान होते है आप सिर्फ अपने खिलाड़ियों को खेल में मैदान में ही समर्थन नहीं देते है बल्कि आप उन्हें अगर खेल से जुडी किसी भी बात पर बाहर भी समर्थन की आवश्यकता होती है तो आप देते है।
मुझे व्यक्तिगत तौर पर ना तो विराट कोहली से कुछ लेना देना नहीं है ना ही किसी और क्रिकेटर से या बॉलीवूड से या राजनीती से या न्यूज़ चैनल से क्योंकि मेरे हिसाब से सबसे ज्यादा अगर भारत का बेडा गर्क किसी ने किया है तो इन्ही लोगो ने किया है। ये पहले आपकी भावनाओ से खेलेंगे फिर कहेंगे की अगर मेरे किसी कार्य/बात से किसी  दिल दुखा है हम उन सभी से मांफी मांगते है। कभी सोचा है शायद हम यह सोचते भी नहीं। आप पूछेंगे की तो क्या मैं किसी का फैन नहीं हूँ जी मैं किसी का फैन नहीं मैं खेल का प्रशंसक हूँ हर उस खेल में जिसमे भारत का मस्तक ऊंचा करने वाले लोग खेलते है मैं क्रिकेट का फैन हूँ ना की क्रिकटर का, मैं हॉकी का फैन हूँ ना की किसी खिलाडी का और हाँ अगर कोई व्यक्तिगत खेल हो तो बात अलग है उसमे एक ही व्यक्ति खेलता है और उसके आप फैन हो सकते है और व्यक्तिगत खेल के वर्ग में है मेरे आदर्श। इसका मतलब यह नहीं की आँख बंद कर उनकी हर बात सुनूंगा।