यहाँ हम लेखन के प्रेमी और कला के प्रशंसकों के साथ लेखों को साझा करेंगे। अद्भुत शब्दों के माध्यम से, जो हमें सतत रूप से प्रेरित करते हैं। यह लेखकों के मनोबल को उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प का माध्यम भर है।

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संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध

संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध

"संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध" किताब के लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने किताब का नाम इस तरह से चुना है की आपको उसी से अंदाज़ा हो जायेगा कि लेखक पुरे किताब में क्या कहना चाह रहे है। शुरुआत होती है "हम कौन थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी?" से जिससे समाज की परिस्थिति के...

Rocket Boys

Rocket Boys

रॉकेट बॉयज़ भारत के दो ऐसे पुरुषो के बारे में कहानी कहता है जो इतिहास में दर्ज है साथ में हमारे तीसरे महान वैज्ञानिक डॉ कलाम साहेब की कहानी है। कहानी भारत के इतिहास में चार महत्वपूर्ण दशकों (1940-80 के दशक) के इर्द-गिर्द सेट है और कैसे भारत एक मजबूत, बहादुर और…

विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली

विश्व पुस्तक मेला, दिल्ली

पुस्तक मेला और प्रगति मैदान हमेशा आश्चर्यचकित करता रहा है। जब भी जाता हूँ मन को असीम शांति मिलती है। इतने सारे किताब प्रेमी अभी भी है, और आज भी खरीदते है किताबें…..मेरे लिए नई नई किताबों की लिस्ट… नए नए इनोवेटिव तरीके से पढ़ने पढ़ाने के लिए भी काफी कुछ देखने को…

रुकतापुर…

रुकतापुर…

रूकतापुर मतलब रुकने वाली जगह लेखक ने बड़ा अच्छा नाम सोचा बिहार के सन्दर्भ में यह किताब काफी तथ्यों के साथ एक ऐसा विवरण है जो एक पत्रकार के लिए अपने घुमन्तु जीवन में कई बार आ सकती है और यह किताब उसी का परिणाम है वैसे बिहार से कई बड़े पत्रकार हुए जिन्होंने राष्ट्रीय पटल…

बींसवीं गाँठ

बींसवीं गाँठ

यह उपन्यास राजेश वर्मा जी द्वारा लिखित है जिसकी पृष्टभूमि बौद्धकालीन संगीति और एक पति का पत्नी के प्रति प्रेम को दर्शाता हुआ एक ऐसा उपन्यास है जो बौद्धकालीन समाज के बारे में दर्शाता है। इस उपन्यास का कथानक अंग देश के चम्पा के एक ग्राम के रहने वाले शिव का अपने पत्नी के…

जोशीमठ – त्राशदी या मानवीय भूल

जोशीमठ – त्राशदी या मानवीय भूल

जोशीमठ सिर्फ एक ऐतिहासिक नगरी नहीं है धार्मिक नगरी भी है जो बदरीनाथ का द्वार भी है। यहाँ से लोग केदारनाथ, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब जाते है इसको आप बेसकैम्प भी मान सकते है। गैज़ेटीयर ऑफ उत्तराखंड की माने तो 1881 की जनगणना के हिसाब से यहाँ 500 से भी कम लोग रहते…